जब सब दरवाजे बंद पड़ जाते हैं तब ईश्वर का दरवाजा खुलता है:कृष्णा।

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अमरदीप नारायण प्रसाद।

बिहार के समस्तीपुर जिले में एक ओस भी संस्था है जो आज भी जीत जागता मानवता इंसानियत के सबूत है जो बिना किसी भेदभाव के जीवन बचने में लगे हुए है और इन्हें नाम पैसा पैरवी जैसे शब्दो से दूर दूर तक कोई मतलब नही है बस अपने कामो को रोज अंजाम देते है और रोज एक नई जिंदिगी बचने का काम करते है और गरीबो की परेशानी को अपना परेशानी समझते है।
दीपक की पत्नी जिन्हें ऐसी बीमारी है कि अन्न, पानी खाते ही पेट मे बने छिद्र(घाव) से निकलने लगता है। शरीर का रक्त उसी छिद्र के रिसाव से खत्म होता जा रहा है। उनके साथ यह घटनाक्रम 4 महीने से हो रहा है, उनके तीन बच्चे भी हैं। घर उनका हसनपुर चीनी मिल के पास है। परिवार, समाज ने भी साथ छोड़ दिया है। लेकिन ऐसे में सोचनीय बात यह है कि यह महिला उनकी पत्नी मरीज के सेवा में एक कदम भी पीछे नहीं हटी है। लगातार पैसे की व्यवस्था करना, हॉस्पिटल के चक्कर लगाना, सेवा करना, बच्चों की देखभाल भी करना। सब साथ-साथ कर रही है। मैं समझता हूँ इस तरह का समर्पण का भाव सिर्फ एक भारतीय पत्नी में ही हो सकता है। हम सभी इस मातृशक्ति को प्रणाम करतें हैं। महिला सशक्तिकरण के जज़्बे को प्रणाम करतें है।
ग्रामीण रक्तदान संघ का नंबर इन्हें किसी से मिला, कल रात इसी महिला ने संगठन को रोते हुए सारी सूचनाएं दी। आज उन्हें 1 यूनिट रक्त उपलब्ध करा दिया गया है, और आगे जितनी भी रक्त की आवश्यकता होगी ग्रामीण रक्तदान संघ संगठन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेती है।

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