तुम्हारे गीत

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तुम्हारे गीतों ने मेरे अहसासों को
कुछ इस तरह छुआ है
जैसे बरसती बूँदों ने
कोमल गुलाब पंखुरियों को छुआ है
जब भी गुनगुनाती हैं फिजाएं
लगता है रंगभरी बदलियों ने
इंद्रधनुष छुआ है

बहारों में खिलती कलियों ने
मुस्कराहट को इस तरह छुआ है
जैसे दिल में छुपे जज़बात को
किसी मीठी याद ने छुआ है
जब भी हवाएं आई हैं
तुम्हारी महक लेकर
लगता है किसी हसीन सपने ने
रेशमी पलकों को छुआ है


रंजना फतेपुरकर
3,उत्कर्ष विहार
मनीषपुरी
इंदौर 18
मो 98930 34331

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