माले के केंद्रीय टीम के तीन दौड़ की बैठकों के बाद राजनीतिक गतिरोध खत्म, इस्तीफा वापस- सुरेन्द्र

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  • चंद्रकांता समाचार समस्तीपुर
    समस्तीपुर : कम्युनिस्ट नौर्म्स को तोड़कर कैंडिडेचर पाने के लिए गलत तरिका से स्टेट लीडरशिप के समक्ष गलत तथ्य रखकर फोन से दबाब बनाने को लेकर उपजे विवाद के हल के लिए महासचिव का० दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा भेजी गई पीबीएम धीरेन्द्र झा, राज्य स्थाई समिति सदस्य बैजनाथ यादव एवं राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक की केंद्रीय टीम की दो दिन में तीन दौड़ की बैठक के बाद अपने सैकड़ों मित्रों, समर्थकों, कामरेडों आदि से राय-मशवरा के बाद भाकपा माले के चर्चित आंदोलनकारी सह जिला कमिटी सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता, जिला कमिटी सदस्य सह ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह द्वारा गुरूवार को अपने -अपने इस्तीफा वापस लेने की घोषणा कर दी गई.इसी के साथ गत 4 दिनों से जारी गतिरोध समाप्त हो गया.
    इस दौरान सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सबसे बेहतर पार्टी माले ही है. यहाँ रहकर ही अंदर और बाहर संघर्ष संभव है. उन्होंने कहा कि लड़ाई टिकट का नहीं बल्कि कम्युनिस्ट नार्म्स तोड़ने के खिलाफ है और जारी रहेगा. पार्टी के बड़े- बड़े लीडर चुनाव नहीं लड़े हैं. पीछले कई बार जीते विधायक एवं देश के किसानों के चर्चित नेता का० राजाराम सिंह को महागठबंधन के लिए ओबरा सीट छोड़ना पड़ा. चुनाव आती और जाती है. लोग विधायक तक का नाम भूल जाते हैं लेकिन संघर्ष और संघर्षकारी को मरने के बाद भी सिद्दत से याद किया जाता है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन महासचिव का० विनोद मिश्र के प्रभाव में वे क्रांति का सपना संजोये माले की सदस्यता लिए थे.
    उन्होंने अपने सारे ईष्ट- मित्रों, समर्थकों, छात्र-युवा, किसान-मजदूरों, महिलाओं, व्यवसाइयों, बुद्धिजीवियों आदि से लोकतंत्र, संविधान, जनाधिकार, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ पर जारी एनडीए सरकार के हमले के खिलाफ जीवन के सभी सवालात पर संघर्षशील वाम एवं महागठबंधन के तमाम उम्मीदवारों को विजय बनाएं. अगर अगली संभावित महागठबंधन की सरकार भी जनमुद्दे से कन्नी काटेगा तो इसके खिलाफ भी संघर्ष का शंखनाद किया जाएगा. उन्होंने, विभूतिपुर, कल्याणपुर एवं वारिसनगर के माले उम्मीदवारों को तन-मन-धन से सहयोग देने की अपील जिलेवासी से की.

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